डिमेंशिया तब होती है जब अल्जाइमर रोग या स्ट्रोक की श्रृंखला जैसी बीमारियों से मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है। हम कह सकते हैं कि अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, लेकिन केवल एक ये ही कारण नहीं है। इसे मनोभ्रंश भी कहा जाता है।
शुक्रवार, 27 जुलाई 2018
खड़े होने में लड़खड़ाने और कमजोरी महसूस करने वालों में डिमेंशिया का खतरा
नई दिल्ली [प्रेट्र]। एक अध्ययन में पाया गया है कि खड़े होने में लड़खड़ाने और कमजोरी महसूस करने वाले लोगों में डिमेंशिया या स्ट्रोक का खतरा हो सकता है। ऐसे लोगों को आने वाले समय में इस तरह के खतरों का सामना करना पड़ सकता है। ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट के चलते खड़े होने में लड़खड़ाहट और कमजोरी महसूस होती है।
यह निष्कर्ष औसतन 54 साल की उम्र के 11,709 प्रतिभागियों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इन सब पर औसतन 25 साल तक नजर रखी गई।
शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन के प्रारंभ में प्रतिभागियों में हृदय रोग या स्ट्रोक की कोई समस्या नहीं थी।
अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की शोधकर्ता एंड्री रावलिंग्स ने कहा, ‘ऑथरेस्टैटिक हाइपोटेंशन का हृदय रोग से जुड़ाव पहले ही पाया जा चुका है इसलिए हमने यह पता लगाने के लिए अध्ययन किया कि निम्न ब्लड प्रेशर का मस्तिष्क संबंधी समस्याओं खासतौर से डिमेंशिया से भी संबंध है या नहीं।’
डिमेंशिया क्या है और किन कारणों से होता है?
डिमेंशिया तब होती है जब अल्जाइमर रोग या स्ट्रोक की श्रृंखला जैसी बीमारियों से मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है। हम कह सकते हैं कि अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, लेकिन केवल एक ये ही कारण नहीं है। इसे मनोभ्रंश भी कहा जाता है।
डिमेंशिया तब होती है जब अल्जाइमर रोग या स्ट्रोक की श्रृंखला जैसी बीमारियों से मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है। हम कह सकते हैं कि अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, लेकिन केवल एक ये ही कारण नहीं है। इसे मनोभ्रंश भी कहा जाता है।
अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बिमारी से जानते हैं। याददाश्त की समस्या एकमात्र इसका प्रमुख लक्षण नहीं है। हम आपको बता दें की डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिसका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन के हर पहलु पर होता है। दैनिक कार्यों में भी व्यक्ति को दिक्कतें होती हैं और ये दिक्कतें उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं।
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